वजह तुम हो

गिनती कोन करे जब सासों मे तु बस गया!
जिस्म को रुह की आदत है, के वजह तुम हो ....

जिने का फलसफा कोई क्या जिये बीन तेरे बस!
वक्त के लम्हे को जिलु खुशी से, के वजह तुम हो ....

मेहकते हुए फूलों मे खुबसुरती का चहकना
मुरझाकर भी काटों मे खिलखाए ,के वजह तुम हो....

सिलसिला था दुरी निभाकर मोहोब्बत मे खोना
फिर इश्क़ का बेहिसाब हो जाना ,के वजह तुम हो .....

बीते कल के अंधेरे में शामिल कर इंतज़ार हो
फिर नई राह की रोशनी का आना, के वजह तुम हो.....

रिंकी कुलकर्णी...

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