गझल

तकल्लुफ के साथ चलते जाता है ख़ुद - वो
गुज़रता वक़्त संभालने का सुझाव देता है

ठोकर बिछाये थें उन राहों पर मैने सुना
साथ चलने वालों को छाले पाँव देता है

सिसक कर चलती है जो उन राहों कि फ़िक्र
लगाकर नमकीन मरहम वो दिल घाव देता है

कुछ रोज़ गीली कर लेतीं हूँ रातों की नींदीया
जरासी आनें के उम्मीद पर वक़्त ठहराव देता है

#रिंकी

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